कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले के अंतर्गत आने वाले साल्ट ब्लॉक के ग्रामीणों ने एक सराहनीय पहल की है। उन्होंने 25 साल पहले सूख चुके नाले को पुनर्जीवित कर दिखाया है, जो अब 300 से अधिक ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध करा रहा है।
अल्मोड़ा जिले के साल्ट ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले कालीगाड़ गांव के निवासियों ने अपने गांव में जल संकट से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य किया है। दशकों पहले सूख चुके नाले को ग्रामीणों ने मिलकर पुनर्जीवित किया है।
लगभग 300 से अधिक ग्रामीण इस ग्राम सभा में रहते हैं। पेयजल की कमी को दूर करने के लिए सरकारी योजनाओं पर निर्भर रहने के बावजूद पानी की समस्या जस की तस बनी हुई थी। जल जीवन मिशन योजना के तहत घर-घर नल तो लगाए गए, लेकिन उनमें पानी नहीं आ रहा था। प्रशासन की उदासीनता से त्रस्त ग्रामीणों ने खुद ही पहल करते हुए नाले को दोबारा चालू करने का बीड़ा उठा लिया।
पद्म भूषण डॉ अनिल जोशी, जो कि उत्तराखंड के जाने-माने पर्यावरणविद हैं, का कहना है कि जल संचय की इस परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए गांव और समाज की पहल पर पत्तेदार पौधे लगाने और चाल-खालों के निर्माण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। डॉ. जोशी का यह भी कहना है कि सरकारी स्तर पर जल संरक्षण के लिए ऐसे दीर्घकालिक प्रयासों को लागू किया जाना चाहिए जिनमें ग्रामीणों की सीधी भागीदारी सुनिश्चित हो। इससे न केवल पर्यावरण का सतत विकास होगा बल्कि हिमालय की इस प्राचीन परंपरा को सांस्कृतिक धरोहर के रूप में समृद्ध और जीवंत रखा जा सकेगा।