Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business
Font ResizerAa
  • Home
  • Almora Distt
    • History
    • Tourist Places
    • Imp Contacts
    • Culture
  • Blog
  • Uttarakhand
  • Nainital
  • PopcornTrip
  • Contact
Reading: केदारनाथ यात्रा का रोचक वर्णन
Share
Font ResizerAa
Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business
  • Home
  • Almora Distt
  • Blog
  • Uttarakhand
  • Nainital
  • PopcornTrip
  • Contact
Search
  • Home
  • Almora Distt
    • History
    • Tourist Places
    • Imp Contacts
    • Culture
  • Blog
  • Uttarakhand
  • Nainital
  • PopcornTrip
  • Contact
Follow US
Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business > Blog > Contributors > Almora > केदारनाथ यात्रा का रोचक वर्णन
AlmoraContributors

केदारनाथ यात्रा का रोचक वर्णन

MK Pandey
5 years ago
Share
Kedarnath Ji temple visit
SHARE

भगवान केदारनाथ जी  का दर्शन श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत आनंद का पल होता हैं, प्रति वर्ष कपाट खुलने के बाद हज़ारों- लाखों की संख्या में लोग, यहाँ भगवान शिव के दर्शन करने आते है।

उत्तराखंड में देहरादून से गौरीकुंड (यहाँ तक ही Motearable रोड है) की दुरी 250 किलोमीटर हैं, रूट में पड़ने वाली कुछ जगह है।

- Advertisement -

डोईवाला, रानीपोखरी, ऋषिकेश (रामझूला/ स्वर्गाश्रम) शिवपुरी, देवप्रयाग, कीर्तिनगर, रुद्रप्रयाग, अगस्त्य मुनि गुप्तकाशी, सोनप्रयाग, गौरीकुंड।

उत्तराखंड में कुमाऊ में  अल्मोड़ा से गौरीकुंड की दुरी 242 किलोमीटर है। रूट में ये जगह हैं – द्वाराहाट, चौखुटिया, गैरसैण, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, अगस्त्य मुनि, गुप्तकाशी, सोनप्रयाग, गौरीकुंड। हमने इसी रूट से केदारनाथ की यात्रा की।

पहली रात्रि हमने विश्राम किया तिलवाडा स्थित एक लॉज में,  जो केदारनाथ रूट में अगस्त्य मुनि से कुछ किलोमीटर पूर्व है।

अगले दिन सुबह तिलवाडा से केदारनाथ धाम के के लिए यात्रा शुरू की, ड्राइव करते हुए हम पहुचे गुप्तकाशी – जो तिलवाडा से करीब 35 किलोमीटर की दुरी पर हैं, गुप्तकाशी से हेलीकॉप्टर सर्विसेज हैं, केदारनाथ धाम के लिए, यहाँ से हेलीकाप्टर में केदारनाथ पहुँचने का एयर टाइम लगभग 10  मिनट के आपपास है।

- Advertisement -

गुप्तकाशी से कुछ 5-7 ऑपरेटर्स हेली सेवाएँ चलाते हैं, पीक सीजन में मई और जून में मानसून शुरू होने से पहले और मानसून ख़त्म होने से, केदारनाथ जी कपाट बंद होने तक का समय व्यस्त समय माना जाता है।

देखिये यह यात्रा वृतांत वीडियो के माध्यम से। यह केदारनाथ जी के धाम पर बने सर्वाधिक पसंद किये और देखे गए विडियो में से एक हैं।

व्यस्त सीजन में हेली सर्विस की कन्फर्म बुकिंग के लिए एडवांस में बुकिंग करवानी होती है,  जो ऑनलाइन उपलब्ध हैं। क्यूंकी कई बार वेटिंग टाइम लम्बा होता हैं और बिना कन्फर्म बुकिंग सीट मिलने में परेशानी हो सकती है।

हमने ऑनलाइन बुकिंग नहीं करायी थी और सफ़र शुरू किया 15 जून के बाद, मॉनसून का आगमन हो चुका था तो, रूट में हमें बहुत यात्री नहीं मिले।

गुप्तकाशी में हेली सर्विस में सीट्स तो उपलब्ध थी, लेकिन केदारनाथ की ऊंचाई पर कोहरा घिरा था, जिससे दो दिन से हेलीकाप्टर उडान नहीं भर रहे  थे, तो हमे बताया गया जब मौसम खुलने के बाद ही हेलीकाप्टर उडान भरते हैं। गुप्तकाशी से 14 किलोमीटर दूर ‘फाटा’ नाम की जगह से भी हेली सर्विस उपलब्ध है।

हेली सर्विस से नहीं जाने वाले यात्री पैदल मार्ग से केदारनाथ जी  की यात्रा पूरी करते हैं। हम भी पैदल मार्ग से यात्रा हेतु आगे बढ़े।

पैदल यात्रा के लिए यात्री सड़क मार्ग से गौरी कुंड तक पहुचते हैं, गौरीकुंड – गुप्तकाशी से 30 किलोमीटर हैं, गौरीकुंड में ज्यादा गाड़ियाँ पार्क नहीं हो सकती इसलिए पार्किंग के लिए गौरीकुंड से 5 किलोमीटर पहले  सोनप्रयाग में फोर व्हीलर्स की बड़ी पार्किंग है।

सोनप्रयाग में कार के लिए पार्किंग के शुल्क 120 पहले 24 घंटे के लिए और उसके बाद रू 100 अगले हर 24 घंटे के लिए था।

सोन प्रयाग से गौरी कुंड के लिए नियमित अन्तराल में टैक्सीज चलती हैं, 4 -5  किलोमीटर की दूरी का किराया रू 20 प्रति सवारी था।

हम करीब 1 बजे गौरी कुंड पहुचे, यहाँ का एक हिस्सा केदारनाथ क्षेत्र में 2014 में आयी आपदा में बह गया, प्रकृति के प्रतिकूल चल उसे दोहन करने के दुष्परिणाम आपदा के रूप में आये, जिन्हे आज भी प्रत्यक्ष अनुभव किया सकता है।

गौरीकुंड से श्री केदारनाथ जी के रास्ते चढाई लिए हैं, करीब 17-18 किलोमीटर, जिसको करने में पैदल चलते हुए सामान्यतः  6-8  घंटे  का समय लगता हैं. पैदल यात्रा के अलावा घोड़े/ खच्चर, कंडी, डोली अथवा पालकी में यात्रा की जा सकती है।

गौरीकुंड से चढाई की और जाते पैदल मार्गे में कई दुकानें, चाय पानी के रेस्टोरेंटस कुछ होटल्स हैं, कई यात्री पहले दिन गौरीकुंड पहुच, अगले दिन सुबह जल्दी केदारनाथ जी के लिए अपनी यात्रा शुरू करते हैं, और शाम को वापस गौरीकुंड पहुँच जाते है।

हमने अपनी यात्रा दोपहर के लगभग एक बजे शुरू की, केदारनाथ धाम में –  हम शाम की पूजा और सुबह की आरती में शामिल होना चाहते थे। 4 किलोमीटर की चढाई के बाद जंगल चट्टी पहुचें, यहाँ भी ठहरने के लिए कुछ लॉज, खाने के लिए रेस्टोरेंट्स, कैम्पस/ टेंट्स आदि उपलब्ध हैं, भोजन के लिए एक गढ़वाल मंडल विकास निगम का रेस्टोरेंट भी यहाँ पर हैं।

पैदल चलने और खच्चरों के चलने के मार्गे एक ही है, इसलिए बारिश के बाद – घोड़ो के मलमूत्र रास्ते में होने की वजह से कही -२ मार्ग फिसलन भरा हो जाता हैं, फिर भी नियमित अन्तराल पर रस्ते में हमने सफाई कर्मी देखे, जो मेहनत से  रास्तो को साफ़ करते जा रहे थे।

स्थानीय लोगो ने बताया कि – आपदा के बाद यहाँ पैदल मार्गों का चौडीकरण, और उन्हें दुरस्त करने का कार्य, खाई की तरफ रेलिंग निर्माण और यात्रा मार्गे में जन सुविधाए प्रदान करने का कार्य बहुत तेजी से चल रहे हैं।

जो हमे यात्रा मार्ग में दिखाई भी दे रहा था,  थोड़ी -2 दुरी पर पानी पीने के लिए श्रोत का जल, मेडिकल  इमरजेंसी के लिए निशुल्क औषधि केंद्र, टॉयलेट्स, बारिश से बचने के लिए शेल्टर, इसके साथ ही घोड़े, खच्चरों के पीने के लिए भी पानी के टैंक जगह – जगह बने हैं।

दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्र में ऐसी सुविधाएँ… हालाँकि श्रीदालू – ईश्वर के प्रेम के वशीभूत यहाँ आते हैं, बगैर किसी अपेक्षा के, यहाँ मिलने वाली सुविधाएँ –  पैर के छाले भले कम न कर सकती हो, पर उन पर मरहम लगाने का काम करती ही है।

जंगल चट्टी से  ३ किलोमीटर के बाद भीमचट्टी, यहाँ पहुचने के मार्ग में ज्यादातर सीढियाँ हैं, बीच में कही-कही, पर समतल रास्ते।

जंगलचट्टी से भीमचट्टी के बीचे में हल्की बारिश हुई, साथ लाये रेन कोट की वजह से बारिश के बाद भी सफ़र चलता रहा।

भीमचट्टी और केदारनाथ की और जाते हुए पहाडियों पर बहते झरने, प्रकृति के मंत्रमुग्ध  करते दृश्य, पंछियों की मधुर स्वर लहरी,  – पैदल यात्रा की सार्थकता बत्ताते, और दुनियावी कष्टों, मानवीय बन्धनों से दूर आध्यात्मिक शांति की राह पर लेकर जाते रास्ते।

भीमचट्टी में ठहरने के लिए कुछ टेंट्स और कॉटेज बने हैं, और भोजन और दैनिक सामान की कुछ दुकाने यहाँ पर हैं. यहाँ पर कुछ पल विश्राम कर हम आगे बढ़े।

भीमचट्टी पहुचते हुए 4:30 बज गए, लगभग आधा रास्ता अभी बचा था, हम 7 बजे की सायंकालीन आराधना से पूर्व केदारनाथ मंदिर पहुचना चाहते थे, जो पैदल चलते थोडा मुश्किल लग रहा था, तो हमने यहाँ से खच्चर की सवारी करना ठीक समझा, घोड़े – खच्चर वालों ने हमें भरोसा दिया की करीब डेढ़ से दो घंटे में वो हमें बसे कैंप पंहुचा देंगे. यात्रियों के ले जाने वाले खच्चर बेस कैंप तक जाते हैं।

बेस कैंप से  केदारनाथ मंदिर की दूरी लगभग 1 किलोमीटर हैं, बेस कैंप पहुचते ही अलग दृश्य नज़र आता है। यहाँ से मंदिर के रास्ते लगभग समतल है.. जैसे हलके तिरछे मैदान में चल रहे हों।

बसे कैंप में गढ़वाल मंडल विकास निगम की कैंप साईट में जहाँ रुका जा सकता है।  यहाँ से आगे बढ़ कर मंदिर के निकट GMVN का एक और टूरिस्ट रेस्ट हाउस है। इसके अलावा मंदिर के आस पास कई निजी गेस्ट हाउस भी हैं, जिनमे रात्रि विश्राम किया जा सकता है।

हम अँधेरा होने के पहले पहुच गए थे, – केदारनाथ के निकट GMVN में एक रूम ले लिया। जिसकी प्री बुकिंग नहीं थी। क्योकि 15 जून को जब हम पहुचे, मानसून आगमन की वजह से बहुत कम श्रदालु वह थे, हमें – एक साफ सुथरा कमरा रात्रि विश्राम हेतु मिल गया।

केदारनाथ में भोजन के लिए GMVN के एक रेस्टोरेंट के अलावा कुछ निजी आवास भी हैं। गेस्ट हाउस में सामान रख, कुछ पल थकान मिटा – संध्या वंदन के लिए मंदिर पहुचे, मंदिर के दर्शन करते ही, यात्रा की समस्त थकान गायब हो गयी, मंदिर से आते भजन और आरती के स्वर – गहरे भावों में डूबा रहे थे।

भगवान श्री केदारनाथ जी  के दर्शन हर श्रद्धालु के लिए अत्यंत आनंद का पल होता हैं, इस अकल्पनीय, अद्भुत, अविस्मरणीय  भावों के एक अंश की भी शब्दों, चित्रों या ध्वनि में अभिव्यक्ति संभव नहीं।

इस यात्रा वृतांत पर आधारित – केदारनाथ मंदिर से जुड़ा विडियो देखें YouTube में

Login AlmoraOnilne.com with Facebook

पोस्ट के अपडेट पाने के लिए अल्मोड़ा ऑनलाइन Whatsapp से जुड़ें

Click here

TAGGED:Kedarnathकेदारनाथ
Share This Article
Facebook Whatsapp Whatsapp
Share
Taxi
इंतज़ार किसी और का
Story
nagar nigam Almora
अल्मोड़ा नगर निगम चुनाव: भाजपा के अजय वर्मा बने पहले मेयर
Almora News
Generational Evolution- From Hard Work to Technology
समय के साथ कैसे बदलते हैं हमारे सपने और मूल्य
Editor's Picks
old lady hut in uttarakhand
व्लॉगर की भूल, एक गाँव की सुरक्षा पर खतरा
Almora
pani ka naula
ग्रामवासियों के प्रयासों से अल्मोड़ा में हुआ नौले का पुनर्जीवन
News
almora from district hospital roof
सरकारी सुख से टपकते नल तक: मकान मालिक बनने का सफ़र
Almora Almora Contributors
Champanaula Almora
धरौदा – दशकों पहले के अल्मोड़ा के घर की यादें!
Almora Contributors
Saab
वाह उस्ताद… सईद साब…
Almora Contributors

Traditional Costume


Rangwali Pichhaura (रंग्वाली पिछौड़ा) is a garment worn at ceremonial occasions in Uttarakhand. From bride to great ...

Read more

You Might Also Like

अल्मोड़ा में साह जी का त्रिशूल होटल और नंदू मैनेजर

अल्मोड़ा से जुड़े प्रसिद्ध व्यक्ति

अल्मोड़ा से जागेश्वर यात्रा और मंदिर दर्शन

घुघुतिया – उत्तरायणी | मकर संक्रांति

अल्मोड़ा से रानीखेत तक का सफर

About

AlmoraOnline
Almora's Travel, Culture, Information, Pictures, Documentaries & Stories

Subscribe Us

On YouTube
2005 - 2024 AlmoraOnline.com All Rights Reserved. Designed by Mesh Creation
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?