अल्मोड़ा का शायद वह पहला जिम था, “फ़्रेंड्स बॉडी बिल्डिंग क्लब” (FBBC), जहाँ तेज म्यूजिक और डम्बल टकराने की आवाज़ें गूंजती थीं, और दीवारों पर बॉडी बिल्डर्स के दमदार मांसपेशियों वाले पोस्टर लगे हुए थे।
शहर में खुला हुआ यह नया जिम, उस समय के युवाओं के लिए स्टेटस सिंबल बन गया था। इसी समय गिरधारी, जिसे प्यार से “गज्जू” भी कहा जाता था, ने जिम जॉइन किया।
महीने-दो महीने की कड़ी मेहनत और लगातार व्यायाम करते हुए, उसे ऐसा लगने लगा कि वह कुछ ही महीनों में अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर की बराबरी कर लेगा।
अब उसे अपनी गली थोड़ी संकरी लगने लगी थी। पहले साइकिल भर का रास्ता लेने वाला गज्जू, अब सड़क पर बुलेट जितनी जगह घेरकर चलने लगा था।
दोस्तों ने गिरधारी की मांसपेशियों की तारीफ करते हुए उसे “गज्जू भाई” कहना शुरू कर दिया था। और वह अपने जूनियर्स को “भय्यू” कहकर संबोधित करने लगा। हाथ मिलाने के लिए कोई उसकी ओर हथेली बढ़ाता, तो वह अपनी उंगली भर मिलाता। बात करते हुए अपने से कम हाइट वाले जूनियर्स के कंधे पर हाथ रखने लगा।
गज्जू का नाश्ता दूध या दही के साथ जलेबी या केले से शुरू होता था। उसकी डाइट बढ़ने से महीने भर का राशन तीन सप्ताह में निपट जाता था।
एक शाम गज्जू अपने घर के पास एक गाँव से गुजर रहा था। उसने देखा कि एक सुनसान जगह में एक दुबला-पतला शराबी एक महिला पर लात-घूसों बरसा रहा था।
गज्जू की मांसपेशियां फड़फड़ाने लगीं। खून नसों से निकलकर आँखों पर उतर आया था। अब तक ऐसे मामले को नज़रअंदाज करने वाला गज्जू ने समाज के काम आना तय किया।
महिला रोते हुए कह रही थी कि वह रोजाना उससे शराब के लिए पैसे मांगता है, लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं।
गज्जू ने शराबी के डीलडौल को तौलकर जब उसे महसूस हुआ कि शारीरिक रूप से वह उस पर भारी पड़ेगा, तो उसने फिल्म का डायलॉग उस पर उछाल दिया – “अबे असल मर्द हैं तो मुझसे बात कर, औरत पर हाथ क्यों उठा रहा है?”
शराबी अकड़कर बोला, “मेरी बीवी है, तुझसे क्यों बात करूं? अपनी औरत पर जो करना मैं करूंगा!”
गज्जू को देख शराबी की बीबी में भी हिम्मत जागी, बोली ये ऐसा ही करता है, इसे समझाओ।
गज्जू समझाए कैसे? वह शराबी के सामने जा खड़ा हुआ। शराबी भी तन गया। लेकिन लड़खड़ाता आदमी क्या टिकता, गज्जू के हल्के धक्के से उसके पैर उखड़ गए और अगले ही पल वह ज़मीन पर धूल चाटने लगा।
किसी तरह ज़मीन से उठकर वह गुस्से में गज्जू से बोला, “तूने मेरे अंडे फोड़ दिए हैं!”
गज्जू हैरान था। उसने तो एक धक्का भर दिया था, अंडे कब फोड़ दिए?
तब शराबी ने अपनी पैंट की जेब से निकालकर टूटे हुए अंडे के कुछ टुकड़े दिखाए, जिसका तरल उसकी पैंट से टपक रहा था।
“टूट गया तो टूट गया, बदतमीज़ी करेगा तो तुझे भी तोड़ दूंगा,” गज्जू ने धमकी दी।
“तू वहाँ रहता है ना? ठहर, तेरे घर आकर शिकायत करता हूँ,” वह गुस्से में बोला।
अपनी पहचान खुलने और घर तक बात पहुंचती देख गज्जू घबरा गया।
उसे लगा घर वालों से खामख्वाह सुननी पड़ेगी कि क्यों वह फैंटम बन रहा था, और दूसरों के मामले में टांग अढ़ाने की क्या जरूरत थी।
इस झंझट और अनचाहे सवाल-जवाबदेही के सिलसिले से बचने के लिए उसने वहीं पर मामला सुलटाना बेहतर समझा।
घिघियाती आवाज में गज्जू बोला, “अबे घर तक नहीं भाई, भूल जा, जो हुआ सो हुआ, गलती हो गई। मामला यहीं सेटल कर लेते हैं। तेरे अंडे की कीमत दे देता हूं, साथ दो चार रुपये ऊपर से ले ले।”
लेकिन शराबी समझौता करने के लिए तैयार नहीं था। उसने गज्जू की कमजोर नब्ज टटोल ली थी। अपनी पत्नी के सामने अपमानित होना उसे बर्दाश्त नहीं हुआ।
घबराए गज्जू के पीछे शराबी चलने लगा। घर पहुंचने से पहले ही रास्ते में मोहल्ले के ‘हरदा’ मिल गए, जो उस शराबी की फितरत से वाकिफ थे।
शराबी अपनी बात पूरी करता, इससे पहले ही मामले की नज़ाकत समझ हरदा ने उसकी आंखों में आंखें डालकर, गज्जू से उलझने के लिए डांट दिया। हरदा की दमदार आवाज और डरावनी मुद्रा से घबराकर, शराबी वहां से भाग गया।
उसके जाने के बाद, हरदा पूछते हैं, “अरे गज्जू, क्या हुआ? हीरोगिरी दिखाने निकले थे क्या?”
“कुछ नहीं भैया, यूं ही…” “पर बात घर तक तो नहीं जाएगी?” गज्जू की आंखों में सवाल था।
“कौन सी वो अंडे वाली बात…” हरदा ने खिलखिलाते हुए कहा। “वो तो फूट गए, अब घर तक कैसे पहुंचेंगे?” हरदा ने गज्जू की चिंता कम की।
अगले दिन से गज्जू फिर से साइकिल जितनी जगह घेरकर चलने लगा। आप भी ये कहानी कितना भी शेयर कर लें, लेकिन ये घटना गज्जू के घर में न बताइएगा।