हम किसी भी धर्म के हों, अगर ऐसा लगता हैं – कि कोरोना वायरस से बचने के लिए सरकार द्वारा जारी सुरक्षा गाइड लाइन हमें मानने आवश्यकता नहीं, क्योकि हमारे ईश्वर या अल्लाह हमें कोरोना से बचा लेंगे।
तो श्री रामकृष्ण परमहंस द्वारा स्वामी विवेकानंद एवं कुछ दूसरे शिष्यों को एक अवसर पर कहीं यह छोटी सी कथा पढ़नी चाहिए।
किसी जंगल में एक महात्मा थे। उनके कई शिष्य थे। एक दिन उन्होंने अपने शिष्यों को उपदेश दिया कि सर्वभूतों में नारायण का वास है (सभी के अंदर ईश्वर है), यह जानकर सभी को नमस्कार करो। एक दिन एक शिष्य हवन के लिए जंगल में लकड़ी लेने गया। उस समय जंगल में यह शोरगुल मचा था कि कोई कहीं हो तो भागो, पागल हाथी जा रहा है। सभी भाग गए, पर उनमें से एक शिष्य न भागा।
उसे तो यह विश्वास था कि हाथी भी नारायण है, इसलिये भागने का क्या काम? वह खड़ा ही रहा। हाथी को नमस्कार किया और उसकी स्तुति करने लगा । इधर महावत के ऊँची आवाज लगाने पर भी कि भागो भागो, उसने पैर न उठाए। पास पहुँचकर हाथी ने उसे सूँड से लपेटकर एक ओर फेंक दिया और अपना रास्ता लिया। शिष्य घायल हो गया और बेहोश पड़ा रहा ।
यह खबर गुरु के कान तक पहुँची। वे अन्य शिष्यों को साथ लेकर वहाँ गए और उसे आश्रम में उठा लाए । वहाँ उसकी दवा-दारू की, तब वह होश में आया । कुछ देर बाद किसी ने उससे पूछा, हाथी को आते सुनकर तुम वहाँ से हट क्यों न गए? उसने कहा कि गुरुजी ने कह तो दिया था कि जीव, जन्तु आदि सब में परमात्मा का ही वास है, नारायण ही सब कुछ हुए हैं, इसी से हाथी नारायण को आते देख मैं नहीं भागा।
गुरुजी पास ही थे। उन्होंने कहा- बेटा, हाथी नारायण आ रहे थे, ठीक है; पर, महावत नारायण ने तो तुम्हें मना किया था। यदि सभी नारायण हैं तो उस महावत की बात पर विश्वास क्यों न किया? महावत नारायण की भी बात मान लेनी चाहिए थी।
इसी तरह आज के समय में – कोरोना वायरस पर नियंत्रण के लिए और उसका प्रसार तोड़ने के लिए हमें बिना लापरवाही के केंद्र और राज्य सरकार की गाइड लाइन के अनुसार चलना चाहिए, और स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग करना चाहिए। ईश्वर अथवा अल्लाह विभिन्न माध्यमों से हमें सावधान करते हैं – इस समय वो प्रशासन की गाइड लाइन के माध्यम से हमें सावधान और सुरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।
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