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बिंसर – प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग

AOL Desk
1 year ago
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BInsar Wildlife Sanctuary
BInsar Wildlife Sanctuary
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यह दुनिया जितनी मनुष्यों की है, उतनी ही वन्य जीवों, पक्षियों, वनस्पतियों आदि की भी है। लेकिन मानव अपनी आधुनिक जीवन शैली के कारण प्रकृति और ईको सिस्टम को संरक्षित करने की सामान्यतः परवाह नहीं करते या ध्यान नहीं दे पाते।

तब मानव द्वारा ही इन्हें संरक्षित करने के लिए रिज़र्व फारेस्ट तैयार करने की ज़रूरत समझी गई। और इसी अवधारणा पर बना एक स्थान कुमाऊँ के हृदय अल्मोड़ा में है।

अल्मोड़ा के ज़िला मुख्यालय से 1 घंटे से कम की दूरी पर स्थित है, बिंसर वन्य जीव अभयारण्य।

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बिंसर कैसे पहुँचे?

बस: बिंसर वन्य जीव अभयारण्य तक पहुँचने के लिए नज़दीकी प्रमुख बस स्टेशन अल्मोड़ा (25 किमी दूर) में है। काठगोदाम (110 किमी दूर) और हल्द्वानी (144 किमी दूर) से अल्मोड़ा के लिए नियमित अंतराल में बसें उपलब्ध हैं। अल्मोड़ा से बिंसर अभयारण्य तक टैक्सी या बाइक टैक्सी किराए पर ली जा सकती है।

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ट्रेन: नज़दीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम (110 किमी दूर) है। काठगोदाम से अल्मोड़ा के लिए टैक्सी या बसें उपलब्ध हैं।

हवाई जहाज: नज़दीकी हवाई अड्डा पंतनगर (144 किमी दूर) है। पंतनगर से अल्मोड़ा के लिए टैक्सी या बसें उपलब्ध हैं।

बिंसर की यात्रा

वैसे तो सड़क मार्ग से हल्द्वानी से अल्मोड़ा होते हुए बिंसर का मार्ग ही खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों से घिरा है, लेकिन अल्मोड़ा के बाद बिंसर की ओर आते हुए, प्रकृति का वैभव और भी खुशनुमा एहसास से भर देता है।

अल्मोड़ा से लगभग 17 किमी दूर: अयारपानी में बिंसर सैंक्चुअरी का प्रवेश द्वार हैं, जो, अल्मोड़ा – ताकुला – बागेश्वर रोड में स्थित है।

प्रवेश

अयारपानी बिंसर गेट में वन विभाग के बैरियर पर अनुमति लेकर सुबह 7 से शाम 5 बजे तक प्रवेश किया जा सकता है। वाहनों और व्यक्तियों के लिए प्रवेश शुल्क तस्वीर में देख सकते है।

स्थापना का वर्ष:

इस वन्य अभयारण्य की स्थापना चौड़ी पत्ती वाले ओक वृक्षों के सिकुड़ते वन को संरक्षित करने के उद्देश्य से सन् 1988 में हुई थी। साथ ही बिंसर में अनेकों दुर्लभ वृक्षों, औषधियों, जैव पक्षियों और वन्य जीवों का आवास है।

बिंसर अभयारण्य का वन्य जीवन: बिंसर अभयारण्य गेट से प्रवेश करते हुए शुरुआत में चीड़ के वृक्ष नज़र आते हैं। शीतल, नर्म और ताजी हवा अभयारण्य के अंदर जाते हुए उमंग भर देती है। इस रास्ते में आगे बढ़ने के साथ, उनकी जगह चौड़ी पत्ती वाले घने वृक्ष ले लेते हैं।

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बिंसर का मानचित्र

बिंसर अभयारण्य कैसे फैला है, और कहाँ क्या है, यह इस मानचित्र से समझा जा सकता है।

बिंसर सेंचुरी की सड़क: वाइल्ड लाइफ के बीच से गुजरती यह सड़क संकरी है और फॉरेस्ट क्षेत्र होने के कारण थोड़ी रफ भी। मोड़ों से भरी और कहीं-कहीं ज़्यादा ही ऊबड़-खाबड़ इस सड़क में ड्राइविंग के लिए थोड़ी कुशलता की भी आवश्यकता होती है। बरसात में सड़क: बरसात में इस सड़क में फिसलन भरी मिट्टी और गड्ढों में वाहनों को आगे जाने में समस्या हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें।

पक्षी अवलोकन: बिंसर अभयारण्य के अंदर पक्षियों को देखने के लिए अलग-अलग दूरी के विभिन्न ट्रेक्स निर्धारित हैं। पैदल शांति से चलते हुए आगंतुक पक्षियों को समीप से देखने का अवसर पा सकते हैं। ऐसी विभिन्न trails को यहाँ mark करते boards भी लगे दिखते हैं।

ट्रैकिंग: ट्रैकिंग पसंद करने वाले, बिंसर के घने वन क्षेत्र में घूमते हुए, सब कुछ भूल जाते हैं। और इस शांति में पेड़ों और पक्षियों की मधुर संगीत उन्हें किसी और दुनिया में ले जाता है।

रहने की व्यवस्था: बिंसर अभयारण्य में 5 या 6 रिसॉर्ट ही हैं। रिज़र्व रिसॉर्ट्स होने के कारण यहाँ नये निर्माण की अनुमति नहीं है। कुमाऊँ मण्डल विकास निगम के गेस्ट हाउस सहित इन रिसॉर्ट की लोकेशन मैप में देख सकते हैं। साथ ही बिंसर फर्स्ट के अंदर कुछ गाँव भी हैं, जहां पैदल ट्रेक कर पहुँचा जा सकता है, वहाँ भी कुछ होम स्टे हैं।

रिसोर्ट/ होम स्टे:

बिंसर में ठहरने की कुछ रिसोर्ट/ होम जानकारी हमारी सहयोगी वेबसाइट popcorntrip.com/binsar से भी ली जा सकती है।

बिंसर वाइल्डलाइफ सेंचुरी से बाहर ठहरने के स्थान: कसारदेवी और पपरसैली में कई अच्छे रिसॉर्ट और गेस्ट हाउस हैं। अधिकतर पर्यटक यहाँ ठहरकर बिंसर की यात्रा करते हैं।

बिंसर सेंचुरी Binsar Sanctuary से जुड़ी ज़रूरी बातें:

  • इस वन्यजीव अभयारण्य में 62 किमी से अधिक का ट्रैकिंग रूट बना है, जहाँ पूरे वर्ष में कभी भी आकर घुमा जा सकता है।
  • ध्यान रखें: यदि आप ट्रैकिंग की योजना बना रहे हैं, तो इस जंगल से परिचित व्यक्ति या गाइड के साथ ही घूमें। जंगल जितना हम अनुमान लगाते हैं उससे अधिक रहस्यमय होते हैं। आपको कई विषाक्त पौधे मिल सकते हैं या ऐसे शिकारी जीवों से सामना हो सकता है जो अपने क्षेत्र में किसी अन्य की उपस्थिति पसंद नहीं करते, वे जीव जो मांस छीलने और संतरे छीलने में कोई अंतर नहीं समझते।
  • बिंसर लगभग 45 वर्ग किमी में मध्य हिमालय क्षेत्र में फैला है, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 1500 से लेकर 2500 मीटर के बीच है।
  • ग्यारहवीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक बिंसर कत्यूरी और फिर चंद राजाओं की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही। शांत और सुरम्य स्थान बिंसर उत्तराखंड में कुमाऊँ के सबसे सुंदर स्थानों में से एक माना जाता है।

बिंसर सेंचुरी में कुछ मस्ट विजिट पॉइंट्स/ ऐक्टिविटीज़:

बिंसर सेंचुरी गेट से लगभग 8 किमी की दूरी पर, बिनेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। इस अभयारण्य के केंद्र में स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस जगह का नाम इसी मंदिर के नाम पर पड़ा, बिनेश्वर, जिसे ब्रिटिशर्स उच्चारण नहीं कर पाए और इस स्थान का नाम पढ़ गया बिनसर।

बिनेश्वर महादेव मंदिर:

विनेश्वर एक प्राचीन मंदिर है, जो चंद और कत्यूरी राजाओं के समय से स्थापित है। यह मंदिर एक खुले हरे-भरे मैदान के सिरे पर स्थित है। यहां आकर अत्यंत आनंद और शांति का अनुभव होता है। स्थानीय लोगों की इस मंदिर पर गहरी आस्था है।

यहां पर देर बिनेश्वर मंदिर में बैठे रहने की इच्छा होती है, और कुछ देर तक यह इच्छा पूरी करने के बाद यह भी ध्यान आता है कि बिंसर के सबसे ऊंचे पॉइंट झंडी धार, जिसे जीरो पॉइंट भी कहते हैं, तक जाना है। यहां से हिमालय की विशाल श्रृंखलाएं भी देखी जा सकती हैं, अगर पहाड़ियों में धुंध न हो तो। बहुधा सर्दियां इन्हें देखने का सबसे सही समय होता है।

ट्रेकिंग: बिनेश्वर महादेव मंदिर से जीरो पॉइंट तक ट्रेक करते हुए भी जा सकते हैं, अगर ट्रेकिंग में रुचि हो। लेकिन अगर पहले नहीं गए हैं तो गाइड के साथ जाना सुविधाजनक रहता है, क्योंकि यह जंगल कई मांसाहारी पशुओं का भी घर है, जो अपने क्षेत्र में अनावश्यक दखल पसंद नहीं करते। और गाइड वन्य पशुओं के स्थान और उनके व्यवहार की जानकारी रखते हैं।

कुमाऊँ मण्डल विकास निगम (केवीएमएन) का रेस्ट हाउस: हम अपने वाहन से आगे बढ़े, बुरांश, बांझ, ओक सहित विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों के बीच से जाती सड़क से आगे बढ़े। बिनेश्वर मंदिर से लगभग 3-4 किमी की दूरी पर कुमाऊँ मण्डल विकास निगम का रेस्ट हाउस है।

यहां पहुंचते ही हमें मिले – भोज जी, जिन्होंने बताया कि वो इस अभयारण्य के वन विभाग द्वारा रजिस्टर्ड नेचर गाइड हैं। गाइड हायर कर जीरो पॉइंट और फॉरेस्ट के विभिन्न ट्रेक किए जा सकते हैं।

पीडब्ल्यूडी का रेस्ट हाउस: केवीएमएन के इस गेस्ट हाउस से थोड़ा आगे जाकर पीडब्ल्यूडी का रेस्ट हाउस है, जो कभी ब्रिटिश समय के कुमाऊँ कमिश्नर रहे हेनरी रामज़े का आवास था। और स्वामी विवेकानंद भी यहां रुके थे। इसके अलावा अनेक विख्यात भारतीय भी इस बंगले में रह चुके हैं।

जैव विविधता: इस अभयारण्य में चीते, कांकड़, घुरड़, चीतल जैसे पशुओं के साथ लगभग 150 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां देखी गई हैं। साथ ही बांज, काफल, देवदार, चीड़ की कई किस्में और कई जड़ी-बूटियां भी यहां मौजूद हैं।

उत्तराखण्ड का ग्रामीण जीवन: जैव विविधता यानी बायोडायवर्सिटी को देखने के साथ, उत्तराखण्ड के ग्रामीण जीवन को जानने की चाह रखने वालों को यहां एक साथ सब कुछ मिल जाता है।

सरक्षित वन क्षेत्र होने से प्रकृति के नैसर्गिक विस्तार पर मानव हस्तक्षेप कम होने के कारण यहां कई बहुमूल्य औषधीय गुणों वाली वनस्पतियों को निर्बाध और उन्मुक्त फलने-फूलने के अवसर प्राप्त हो जाते हैं। और यही इस स्थान को विशेष बनाते हैं।

पैदल ट्रेकिंग: बिनसर वन्य क्षेत्र की सीमा से लगे स्थानों – जागेश्वर, धौलछीना, बसौली सहित आसपास के गांवों से बिनसर अभयारण्य में पैदल ट्रेक कर भी आया जा सकता है।

जीरो पॉइंट: KMVN या पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस से डेढ़ से दो किलोमीटर का ट्रेक करते हुए जीरो पॉइंट पहुंचे जो इस अभयारण्य का सबसे ऊँचा स्थान है।

हिमालय के दृश्य: यहां से हिमालय की विस्तृत श्रृंखलाओं जिनमें नंदादेवी, त्रिशूल, पंचाचुली पर्वत मालाएं शामिल हैं, को निहारा जा सकता है।

किस मौसम में क्या?

गर्मियों में: बिनसर में वर्ष में सबसे अधिक पर्यटक गर्मियों में आते हैं, मई-जून जो रसीले छोटे फल – काफल पकने का समय है। यह पहाड़ों में होने वाला स्वादिष्ट रसीला छोटा फल है। पूरा जंगल काफल के पेड़ों से भरा रहता है। गर्मियों में पाइन ट्री से गिरने वाली सुइयों की तरह की सूखी पत्तियां – कभी-कभी जंगल में वन्यजीवों के लिए खतरा बन सकती हैं।

बरसात में: जुलाई से सितंबर बारिश का समय है। इस समय रास्ते थोड़े फिसलन भरे और खराब मिल सकते हैं, और हरियाली अपने चरम पर होती है। इस समय जोक यानी लीक से संभल कर चलने की ज़रूरत होती है।

शरद ऋतु में: अक्टूबर से ठंड बढ़नी शुरू हो जाती है, जो फरवरी और कभी-कभी मार्च तक होती है। हिमालय के साफ दृश्यों को देखने का यह सबसे अच्छा समय है।

सर्दियों में: दिसंबर से फरवरी के मध्य कई बार बर्फ गिरती है। और रात के समय तापमान माइनस में भी चला जाता है।

वसंत ऋतु में: मार्च-अप्रैल में बुरांश के खूबसूरत फूलों को साथ यहां विभिन्न प्रजातियों के फूलों को खिलते हुए देख सकते हैं। बुरांश के बिखरे फूल – ज़मीन पर बिछे ऐसे लगते हैं जैसे प्रकृति ने लाल रंग का कालीन बिछा रखा हो। तितलियों और बर्ड वॉचिंग के भी यह अच्छा समय है।

बिंसर प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और विविध वन्य जीवन का एक अनूठा संगम प्रदान करता है। चाहे आप घने जंगलों के बीच से ट्रेकिंग करने में रुचि रखते हों, लुभावने हिमालय के दृश्यों की प्रशंसा कर रहे हों, या बस एक दूरस्थ पर्वतीय अभयारण्य की शांति का अनुभव कर रहे हों, बिंसर में सभी के लिए कुछ न कुछ है। तो अपना बैग पैक करें, अपने हाइकिंग जूते बांधें, और बिंसर के जादू को खोजने के लिए तैयार हो जाएं!

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