अल्मोड़ा उत्तराखंड के विख्यात और ऐतिहासिक स्थानों में से एक हैं। कई लोग अल्मोड़ा का परिचय उत्तराखंड की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में भी देते हैं। कई बातें जो दुनिया मे कहीं और देखने – जानने को नहीं मिलेंगी। उन्ही बातों को तलाशने के साथ, करेंगे अल्मोड़ा को एक्सप्लोर।
कुछ वर्ष पूर्व तक, चार – छह किलोमीटर पैदल चलना, बेहद छोटी दूरी मानी जाती थी, पटाल बाज़ार या मॉल रोड मे घूमते हुए लोग रोज इतनी दूरियाँ यो ही तय कर लेते। कभी पैदल चल कर डयोली डाना, कसारदेवी, चितई अक्सर घूम आया करते। अल्मोड़ा में रहने वाले प्रकृति से प्रेम में पड़ ही जाते हैं।
यहाँ टहलने के लिए – कैंट एरिया की सुरम्यता और शांति – शाम के पलों में शहद घोलती हैं। ब्राइट एंड कोर्नर जिसे अब विवेकानंद कोर्नर नाम से जानते है – शाम बिताने के लिए एक और अच्छी जगह है। तब वहां एक ही कैफ़े था जो सर्दियों के दिनों में बंद रहता, वहां अब कुछ और भी केफे खुल चुके हैं।
स्वामी विवेकानंद ने अल्मोड़ा के लिए कहाँ था – ये पहाड़ मनुष्य जाति की सर्वोतम धरोहरों से जुड़े है, यहाँ न सिर्फ सैर करने का बल्कि उससे भी अधिक ध्यान की नीरवता का और शांति का केंद्र होना चाहिए और मुझे उम्मीद है कि – कोई इसे महसूस करेगा.
अल्मोड़ा से कहीं बाहर जाने पर आपके मेजबान आपसे – यहाँ की बाल मिठाई, चॉकलेट, सिंगोड़ी, खोये की बर्फी की उम्मीद करते, बस स्टॉप के पास कई दुकाने हैं, सभी खूब चलती हैं, खीम सिंह मोहन सिंह नाम से अल्मोड़ा का प्रसिद्ध बाल मिठाई विक्रेता हैं, स्थानीय लोग लाला बाज़ार में हीरा सिंह जीवन सिंह, लाला जोगा साह और कुछ दूसरे विक्रेताओं की की मिठाइयों को भी स्वादिष्ट बताते हैं। सबका अपना स्वाद – अपनी पसंद।
अल्मोड़ा अपनी स्वास्थ्यप्रद जलवायु के लिए प्रतिष्ठित है, जिसको महात्मा गांधी के शब्दों से समझ सकते है –
महात्मा गाँधी ने अपना कुछ समय यहाँ बिताने के बाद कहा था – हिमालय की मनमोहक सुन्दरता, उसकी प्राणदायी जलवायु और सुकून देने वाली हरियाली, जो आपको इस तरह से घेर लेती है, कि फिर उससे अधिक कुछ चाह नहीं रहती. मैं सोचता हूँ – कि इन पहाड़ियों का सौन्दर्य दुनिया के किसी भी सुन्दर स्थान से से अधिक है या उनके बराबर हैं..
अल्मोड़ा की पहाड़ियों में लगभग 3 सप्ताह बिताने के बाद मुझे अतिशय आश्चर्य है कि – हमारे लोगों को अच्छे स्वास्थ्य की तलाश के लिए यूरोप क्यों जाते है!
अल्मोड़ा सदियों का इतिहास समेटे हैं, भारतीय गणराज्य का हिस्सा बनने से पूर्व यह ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा रहा, उससे पूर्व गोरखा राजाओं ने यहाँ राज किया, करीब 400 साल चंद राजा इस जगह का नेतृत्व करते रहे, और उसी समय इस स्थान का नाम आलमनगर से बदल कर अल्मोड़ा किया गया, चंद राजाओं से पूर्व लगभग छठी – सातवीं सदी से लगभग 500 – 600 वर्ष तक कत्युरी वंश ने इस स्थान पर शासन किया, तब राजपुर नाम से जानी जाती थी यह जगह।
स्कन्द पुराण के मानसखंड और विष्णु पुराण के अनुसार यहाँ महाभारत के समय भी मानवों के रहने के संदर्भ मिलते है। अल्मोड़ा के निकट लखुडियार मे प्रगेतिहासिक मानवों के बनाए चित्र दिखाई देते है।
विभिन्न काल खंडों मे अलग अलग सास्कृतिक और राजनयिक परिवर्तन के साथ शहर और यहाँ के लोगों ने यहाँ की ऊंची पहाड़ियों के साथ समय बिता – शांति मे अनासक्ति यानि नॉन-एटेचमेंट को सीखा।
अल्मोड़ा मे देखने को मिलती –
आधुनिकता और परंपरा का संगम।
बुद्धिमता और सरलता का मिश्रण।
अल्मोड़ा के बारे मे अधिक जानने के लिए देखें वीडियो: