उत्तराखंड में कुमाऊ में अल्मोड़ा जनपद पर्यटकों के बीच में अत्यंत प्रसिद्ध है, यहाँ कई दर्शनीय स्थल और ट्रैकिंग रूटस हैं – जिनके बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसे ही एक खुबसूरत ट्रेक में हैं हम आज।
अल्मोड़ा से लगभग 5 किलोमीटर दूर बिनसर रोड में कसार देवी के निकट है पपरसैली। जो शांत आबोहवा, हिमालय के दृश्यों के साथ सिमतोला इको पार्क के लिए जाने जाती है। सिमतोला इको पार्क के साथ पपरसैली से कसारदेवी का पैदल ट्रेक और अल्मोड़ा के बारे में आने वाले विडियोज में देखेंगे।
पपरसैली में सिमतोला इको पार्क के पास से होते चितई के मंदिर तक का चीड के जंगलों से होते हुए अत्यंत ही मनोरम ट्रेक है। प्रकृति प्रेमियों के लिए अल्मोड़ा की पहाड़ियां का सौन्दर्य अतुलनीय है। ब्रिटिश काल में यूरोपियन भी इन जंगलों से अत्यंत प्रभावित रहे है। लेकिन अब दोपहियाँ और चार पहियों से चलने वाली नयी पीढियां – इन शांत और सुरम्य स्थानों से अनजान है।
सिमतोला इको पार्क के प्रवेश द्वार से पूर्व प्रसार भारती की चाहर दीवारी से दाई और से होते हुए – एक संकरे रास्ते से आगे बढ़ते ही – ऐसा लगता है – जैसे एक अलग दुनिया में पंहुच गए हो। बरसात के मौसम के बाद यह ट्रेक किया इसलिए रास्ते में कहीं कहीं घास लम्बी थी, साथ में चिड की पत्तियां – पिरूल पर चलना – जैसे किसी गद्देदार आरामदेह रास्ते में चलने का एहसास दे रही थी, हालाकिं इनमे थोडा फिसलन होती है – इसलिए पैर को सावधानी से रख आगे बढे। इसे एक आसान ट्रेक कह सकते है, जिसे छोटे बच्चे और अधिक उम्र के लोग कर सकते है – पूरे रास्ते लगभग समतल हैं, बीच बीच में कहीं बहुत ही हलकी चढाई या ढलान मिलती है।
यह बायीं और दिख रहा सिमतोला इको पार्क का हिस्सा का हिस्सा है – जिसमे बैठने के लिए बेंच लगी है, यह रास्ता कुछ दूर तक सिमतोला इको पार्क की boundary को छुते हुए आगे बढ़ता है।
चितई के इस मार्ग में – कुछ आगे जाकर दायीं ओर डिअर पार्क की सीमा भी मिलती है, इस वन में अकेले और अँधेरा होने के बाद आने से बचना चाहिए, क्योकिं यह वन्य प्राणियों का भी विचरण स्थल है। अल्मोड़ा की भौगोलिक परिस्थितियों से परिचित न हो, तो इस ट्रेक में किसी स्थानीय जानकार गाइड के साथ ही जाएँ।
देखें पूरे ट्रेक का विडियो और करें चितई मंदिर दर्शन :