Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business
Font ResizerAa
  • Home
  • Almora Distt
    • History
    • Tourist Places
    • Imp Contacts
    • Culture
  • Blog
  • Uttarakhand
  • Nainital
  • PopcornTrip
  • Contact
Reading: अल्मोड़ा – चम्पानौला की यादों से भाग 2
Share
Font ResizerAa
Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, BusinessAlmora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business
  • Home
  • Almora Distt
  • Blog
  • Uttarakhand
  • Nainital
  • PopcornTrip
  • Contact
Search
  • Home
  • Almora Distt
    • History
    • Tourist Places
    • Imp Contacts
    • Culture
  • Blog
  • Uttarakhand
  • Nainital
  • PopcornTrip
  • Contact
Follow US
Almora Online | Explore Almora - Travel, Culture, People, Business > Blog > Contributors > Almora > अल्मोड़ा – चम्पानौला की यादों से भाग 2
AlmoraContributors

अल्मोड़ा – चम्पानौला की यादों से भाग 2

Rajesh Budhalakoti
5 years ago
Share
Almora Champanula
SHARE

चम्पा नौला में हमारे मकान की लोकेशन बहुत बढ़िया थी, भैरव मन्दिर के बगल से करीब सौ सीढ़ी उतर, नौले के बगल मे, ऊपर मिट्ठू दा का मकान और हमारा घर, नौले के बगल मे होने के कारण हम लोगो ने कभी पानी की तंगी नही झेली, गर्मियों में तो चम्पा नौला मे जैसे कौतिक का माहोल हो जाता था।

पहला भाग – चम्पानौला की कैंजा पढ़ने के लिए क्लिक करें।

लाला बाजार, नन्दा देवी से तक लोग पानी भरने आते, एक बाल्टी पानी की लाईन मे खडे खडे आपस मे जमाने भर के दुख सुख हो जाते, बालाए पानी लेने आती और युवक पानी लाते बालाओ को निहारने आते, कई प्रेम कहानियों का गवाह रहा है ये चम्पा नौला, चम्पा नौला का नामकरन उस नौले के आस पास रहने वाली चम्पा नाम की चुडेल के कारण पडा, ऐसी किवदंती है।

उस जमाने मे हमारा अल्मोडा आज की तुलना मे हर मायने में अच्छा था, सुन्दर सलीके से पुराने जमाने की लकडी के दरवाजे और पटालो से ढकी लम्बी सी बाजार, पितदा की पान की दुकान से प्रारम्भ होती, लाला बाजार, कारखाना बाजार, खजान्ची मोहल्ला होते हुए पल्टन बाजार तक जाती और पल्टन मैदान के गेट पर ख़तम।

- Advertisement -

आपको क्या खरीदना है – इसी से तय होता के आपको बाजार के किस हिस्से मे जाना चाहिए….. कपड़े लत्ते, रासन -पानी तो लाला बाजार, सोने चान्दी के जेवर खजान्ची मोहल्ला, चरेऊ गछाने हो चूडी खरीदनी हो कारखाना बाजार, भुटुवा कलेजी खानी हो तो पल्टन बाजार। हम लोगो को खरीदना तो कुछ नही होता था बस शाम की घुमाई के सबब से पितदा की दुकान से शुरू कर लोहे के शेर तक जाते और एक दो चक्कर लगाते लगाते सारे मित्र जमा हो जाते, गर्मीयो की छुट्टी मे ब्राईट इन कोर्नर, सर्किट हाउस, केन्ट की तरफ़ भी जाते पर पढाई के दिनो मे लोहे के शेर तक ही सीमित होती।

Phto Credit : Dr. S Hamidबाद मे पैसे मिला कर एक प्याला चाय पैसे ज्यादा जमा हुए तो पददा की मटर या वेदा की टिक्की कभी कभार ग्लोरी मे कोफ़्फ़ी और शाम दीया जलने से पहले घर वापसी होती थी। मंगल वार को तय रहता के खुट कुनी भेरव जाना है। क्योकी शिक्षा विभाग इन्ही भगवान के पास रह्ता और शुरु से ही मधुर सम्बन्ध बनाने से परीक्षा मे बडीया अन्क लाने की संभावना बड जाती।

उस जमाने मे केवल हम ही नही वरना शहर के लग भग सभी व्यक्तियों का घूमना इसी बाजार मे होता अतः वाणी मे व्यवहार मे चाल ढाल मे सयम और बडो से बात करने का अदब कायदा शायद इसी कारण आया कि हमारे बडे बुजुर्ग भी चहल कदमी करते और आवश्यक सामान की खरीद फ़रोख्त करते यहा मिल जाते थे।

बडे बुजुर्गो के प्रति आदर, सम्मान का पाठ उस समय युवाओ को सिखाना नही पड्ता था, ये सब संस्कारों मे मिला था।

आज के साथ अगर लाला बाजार के इस भ्रमण की तुलना करू तो बडा अफ़सोस होता है के बाजार का स्वरूप इस तरह से बदल चुका है के आप अपने मित्रो के साथ गप्पे मारते घूमने की कल्पना तक नही कर सकते, आप भीड के रेले मे बह जायेगे, खो जायेगे, यदि दुर्भाग्य से किसी नव जवान से टक्करा गये तो गाली भी खाएंगे।

बाजार का स्वरूप बहुत बदल चुका है और इस बद्लाव को सकारात्मक तो कदापि नही कहा जा सकता, पुरानी अल्मोडे की मशहूर दुकानो का अस्तित्व लगभग समाप्तप्राय हो गया है और प्रवासी बिहारी भाईयो ने लगभग सारी बाजार कब्जा ली है।

दुकानो के आगे अतिक्रमण, एक सन्करी सी गली बन गया है हमारा अल्मोडा का बाजार जहा जाना मजबूरी है सामान लो और वापस घर, यही वजह है के पहले जिन रसूखदार लोगो से बाजार की रौनक रहती थी वो अब नही दिखते। मुझे तो इल्म नही पर बताते है के रविवार, शनिवार अब दूर की जगहे यथा कसार देवी, चितई, डयोली डाना अदि स्थान गुलजार रह्ते है। अब अल्मोडा की बाजार मे लोग भीड मे दोड्ते नजर आते है, असंयत, बदहवास, बेकाबू और असहनशील….

अल्मोडा की सफ़ाई व्यवस्था के बारे मे अगर लिखूंगा तो यह सोचा जायेगा कि अपने पिता के जमाने को साफ़ सफ़ाई के हिसाब से श्रेष्ठ बनाना चाह रहा हू, तब मेरे पिता नगर पालिका के स्वछता अव खाद्य निरीक्षक थे और तब शहर की साफ़ सफ़ाई का जिम्मा उनका था।

- Advertisement -

सीमित साधनो से तब की साफ़ सफ़ाई की तरीफ़ जब बाबुजी के जमाने के बुजुर्ग अब भी करते है तो सर फ़क्र से ऊँचा हो जाता है. आज भी अल्मोडा मे हमारा अस्तित्व हमारे पिता के नाम से है।

जनाब ये मेरा शहर है मुझे यहा की हर गली प्यारी है लेकिन उत्तराखंड की एक महत्वपुर्ण सांस्कृतिक नगरी जहा से कभी उत्तर प्रदेश और पूरे देश की राजनीति प्रभवित हो जाती थी, जिस शहर ने सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख, देश के मुख्य नौकरशाह, राजनेता और बहुत बड़ी संख्या मे डाक्टर, इंजीनियर देश को दिए दिए। उस शहर की इतनी उपेक्षा क्यो, इस प्रश्न का उत्तर राज्य निर्माण के तेरह साल बाद भी मुझको आज तक नही मिला।

पहला भाग – चम्पानौला की कैंजा पढ़ने के लिए क्लिक करें।

 

Login AlmoraOnilne.com with Facebook

पोस्ट के अपडेट पाने के लिए अल्मोड़ा ऑनलाइन Whatsapp से जुड़ें

Click here

TAGGED:Almorachampanaula
Share This Article
Facebook Whatsapp Whatsapp
Share
Leave a Comment

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Taxi
इंतज़ार किसी और का
Story
nagar nigam Almora
अल्मोड़ा नगर निगम चुनाव: भाजपा के अजय वर्मा बने पहले मेयर
Almora News
Generational Evolution- From Hard Work to Technology
समय के साथ कैसे बदलते हैं हमारे सपने और मूल्य
Editor's Picks
old lady hut in uttarakhand
व्लॉगर की भूल, एक गाँव की सुरक्षा पर खतरा
Almora
pani ka naula
ग्रामवासियों के प्रयासों से अल्मोड़ा में हुआ नौले का पुनर्जीवन
News
almora from district hospital roof
सरकारी सुख से टपकते नल तक: मकान मालिक बनने का सफ़र
Almora Almora Contributors
Champanaula Almora
धरौदा – दशकों पहले के अल्मोड़ा के घर की यादें!
Almora Contributors
Saab
वाह उस्ताद… सईद साब…
Almora Contributors

Traditional Costume


Rangwali Pichhaura (रंग्वाली पिछौड़ा) is a garment worn at ceremonial occasions in Uttarakhand. From bride to great ...

Read more

You Might Also Like

लाल बहादुर दाई उर्फ़ हनुमान…

सरकारी आवास से अपना आशियाना

कविराज सुमित्रानंदन पंत

मैं आज 18 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूँ।

अल्मोड़ा के प्रसिद्ध चित्रकार – श्री जी बी पंत की कुछ अनमोल कृतियाँ

About

AlmoraOnline
Almora's Travel, Culture, Information, Pictures, Documentaries & Stories

Subscribe Us

On YouTube
2005 - 2024 AlmoraOnline.com All Rights Reserved. Designed by Mesh Creation
Welcome Back!

Sign in to your account

Username or Email Address
Password

Lost your password?