शुक्रिया डी एम साहिबा…
दोस्तों तकरीबन छह माह पहले जिलाधिकारी महोदया अल्मोड़ा द्वारा जो एक सराहनीय पहल राजकीय जिला पुस्तकालय को लेकर की गई थी, जो दशकों पुराने पुस्तकालय के जीर्णोद्धार की थी, अब वह पूरी हो चुकी।
विगत रविवार को आयोजित तथाकथित लोकार्पण में जनप्रतिनिधियों की होड़ रही पर सालों की पड़ी इस जरूरत पर ध्यान देने वाली डी एम साहिबा इस दौरान निर्बाध रूप से चीजों को ऑब्जर्व करती रहीं।
यही होता है किसी ईमानदार प्रयास को लेकर एक पढ़े लिखे व्यक्तित्व को उसके सामाजिक सरोकारों व उद्देश्य की मंजिलें उसे और ज्यादा गंभीर व सहज बनाती हैं, श्रेय लेने वाला नहीं। वरना अब तक तो यह लाइब्रेरी यूं ही अपने इतिहास पर रश्क करते हुए गर्क होने की राह पर थी।
तो शुक्रिया व आभार एक बार फिर डी एम महोदया इस अहसान के लिए जिसके लिए अल्मोड़ा आपको ताउम्र याद रखेगा। (अलग बात कि छूटभय्ये नेताओ के बीच अगले छह महीने के बीच किए जाने वाले आपके ट्रांसफर की चर्चा थी। हो सकता है सही हो पर अब एहले सियासत पढ़े लिखों को ज्यादा कहां बर्दाश्त करती है)
चलते -2 बस इतना कि आपकी टीम जिसमें पढ़े लिखे समझदार अधिकारी, डेकोरेटर, आर्किटेक्ट, प्लेनर, ठेकेदार आदि रहे..सबका शुक्रिया.. पर यह भी कि पुरानी पुस्तकों, पांडुलिपियों व तस्वीरों का बहुत महत्त्व है,सभी कायदे व करीने से वापस लाई जाएं, कुछ बेहतरीन बुकसेल्फ व कलात्मक कुर्सियां, मेजें व अन्य चीजें बाहर पड़े हुए काफी विटामिंस ले चुके, ऐसा न हो कि लकड़ियों के साथ यह भी नीलाम हो जाएं। यह भी कि बेशक लॉन में ग्रास कम हो चुकी पर फिर भी है तो, बावजूद उन बड़ी-2 बाउंड्री दीवारों के जिनकी उतनी जरूरत न थी, पैराफिट ही काफी थे जिनसे वैली का व्यू बहुत अच्छा था।
और अब अंतिम किंतु सबसे अहम बात कि कुछ लोगों का ख्याल सीसीटीवी कैमरे लगाने का है जो कि एकदम वाहियात ख्याल है जिसके जरिए वह मॉरल पुलिसिंग करना चाहते है आंखिर इस उम्र से हम सब भी गुज़रे है।
और हां सब से बड़कर हमारी एक बहुत पुरानी गुजारिश एक अदद परमानेंट लाइब्रेरियन यानि पुस्तकालयध्यक्ष की, जो कि कुछ नया व कुछ पुराने जमाने का सामंजस्य कर सके…बहुत2 शुक्रिया।
इससे पूर्व लाइब्रेरी की चिंतनीय स्थिति पर लेखक का कुछ समय पूर्व लिखा लेख भी नीचे दिये लिंक पर क्लिक कर पढ़े।
अल्मोड़ा जिला पुस्तकालय की यादें
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प्रस्तुति – श्री सुशील तिवारी