सन १९२९ में गाँधी जी भारत भ्रमण पर निकले। थकान दूर करने के लिए वे दो दिवस के लिए कौसानी आये। घाटी के उस पार हिमआच्छादित पर्वत श्रृंखला पर सूरज की सुनहरी रश्मियों ने उनका मन मोह लिया। वे यहाँ १४ दिन रहे और गीता पैर अपनी प्रसिद्द पुस्तक “अनाशक्ति योग” की रचना की।
रहने की सुविधा के साथ ही यहाँ एक पुस्तकालय और वाचनालय भी है। प्राकर्तिक सुन्दरता की साथ यहाँ का वातावरण मन को अगाध आनंद और शांति प्रदान करता है।