अल्मोड़ा से लगभग 8.5 किलोमीटर की दुरी पर स्ठित है प्रसिद्द गोलू देवता का मंदिर चितई। आज इस लेख में आप पड़ेंगे अल्मोड़ा मुख्य नगर से NTD होते हुए, चितई मंदिर की सड़क यात्रा, मार्ग में आने वाले प्रमुख स्थानो को, चितई गोलु देवता दर्शन, चितई मंदिर का इतिहास, यहाँ से जुड़ी मान्यताएँ और वापसी में चितई से लगभग 1 किलोमीटर दूर डाना गोलुज्यू मंदिर के दर्शन का यात्रा वृतांत।
आप का स्वागत है, इस लेख में…अल्मोड़ा नगर समुद्र तल से लगभग 6,106 फीट की उचाई पर स्थित है।
अल्मोड़ा से चितई पहुँचने के दो मार्ग है… एक कर्बला से वाया धारानौला, फलसिमा बैंड होते हुए जिसकी दूरी धारानौला से लगभग 7 किलोमीटर है, दूसरा अल्मोड़ा मॉल रोड स्थित बस स्टैंड से वाया पातालदेवी होते हुए।
उपरोक्त दोनों मार्ग NTD में स्थित चिड़ियाघर के पास आपस में मिल जाते हैं।
इस लेख में आप जानेंगे अल्मोड़ा माल रोड स्थित बस अड्डे से चितई का यात्रा वृतांत।
अल्मोड़ा मॉल रोड स्थित बस स्टेशन से चंपानौला, जाखनदेवी, लक्षमेश्वर (यहाँ से बायीं और ढलान की ओर को जाता मार्ग कोसी होते हुए कौसानी/ रानीखेत को जाता है, और दाहिनी हाथ को चढाई लिए हुए मार्ग सीटोली/ धार की तुनी… ) , धार की तुनी, पाताल देवी, शैल बैंड (यहाँ से एक मार्ग कपड़खान होते हुए ताकूला से बागेश्वर को जाती है।) से दाहिनी दिशा का मार्ग लेते हुए, एनटीडी होते हुए चितई पहुंचा जाता है। यही मार्ग आगे जागेश्वर, धौलछिना, पनुवनौला, पिथौरागढ आदि के लिए भी है।
और NTD से ही लेफ्ट को चढ़ाई लिए हुए मार्ग कसारदेवी, डीनापानी होते हुये ताकूला/ बागेश्वर वाले रूट में मिल जाता है।
एनटीडी गोल चौराहे से ही सड़क से उप्पर बाएँ ओर है अल्मोड़ा स्थित चिडियाघर। जहां तेंदुवे, भालू, कांकड़, घुरड़ आदि के साथ कई तरह के पक्षियों को देखा जा सकता है।
NTD गोल चौराहे से ही पिथौरागढ़ मार्ग में आगे बदते हुए लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है अल्मोड़ा का जिला औध्योगिक प्रशिक्षण संस्थान का अल्मोड़ा स्थित केंद्र (ITI)…
अल्मोड़ा से चितई का मार्ग थोड़ा संकरा है, इसलिए वाहन धीमे और नियंत्रित गति में चलाते हुए, चीड़ के वृक्षों के जंगलों के बीचों बीच बने मार्ग से यात्रा करना बड़ा सुखद अनुभव था। गर्मियों के दिनों में चीड़ के पत्तियाँ, जिसे पीरुल कहते हैं, काली डामर के सड़क के दोनों और गिर कर मार्ग को और भी अधिक खूबसूरत बनाता है। पर ये पीरुल बड़ा ज्वलनशील और फिसलन भरा होता है।
कुछ आगे बढ़, सड़क से बायीं ओर दिखता है एक मंदिर, जिसे डाना गोलज्यु देव के मंदिर के नाम से जाना जाता है। वापसी में श्रद्धालु इस मंदिर में भी दर्शन करते हैं। और इस के कुछ ही दूरी पर चितई बाजार के सीमा शुरू हो जाती है। सड़क के किनारे उचित स्थान में वाहन पार्क कर हमने, मंदिर में भेट करने के लिए हमने प्रसाद सामग्री और घंटी ली। सड़क से ही मंदिर का प्रवेश द्वारा लगा हुआ है, जहां से कुछ दूरी पर स्थित है चितई गोलु देवता का मंदिर। पैदल मार्ग में घण्टियों और चुनरियों की कतार इस मंदिर की आम जनमानस के हृदय में मंदिर की महत्ता को उजागर करती है।
स्थानीयों के अलावा यहाँ दुर दूर से श्रद्धालु मंन में आस लिए यहाँ आते हैं।
चितई मंदिर के कुछ पुजारियो से हुई बातचीत के आधार पर हमें पता चला की 17वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था, और उसके बाद श्रद्धालुओं और स्थानियों द्वारा समय समय पर इसका नवनिर्माण होते रहा।
मंदिर के मुख्य भवन के अंदर गोलु देवता को समर्पित मूर्ति है। जो श्रद्धालु सच्चे हृदय और पवित्र भावना से गोलु देवता से मनोकामना करते हैं, उनकी इच्छा गोलु देवता पूरी करते हैं। यहाँ अपनी मनोकामनाएँ एक पत्र में लिख, आगंतुक यहाँ टाँगते हैं, और इच्छा पूरी होने पर, यहाँ चुनरी व घंटी भेट स्वरूप अर्पित करते हैं।
चीड़ के वृक्षों से घीरे इस स्थान आ कर मन को एक असीम शांति का एहसास होता है। यहाँ काफी संख्या में बंदर भी दिख जाते हैं। वो आपको कोई नुकसान नहीं पहुचाते, बस यहाँ आने वाले श्रद्धालुवो के हाथ से प्रसाद के लालसा में वो प्रसाद आदि झपट सकते हैं। इस शृष्ठि में ईश्वर ने सबको पेट और भूख दी है, और आप भाग्यशाली हैं, जो यहाँ आ कर इन बंदरों को कुछ खिला पेट भरने का माध्यम बन रहें हैं और सुखद अनुभूति के साथ साथ पुण्य भी अर्जित कर रहें हैं।
मंदिर समिति के कार्यालय जो के मुख्य द्वार के समीप ही स्थित है, से आप यहाँ विवाह आदि सम्पन्न करवाने के लिए भी संपर्क कर सकते हैं। मंदिर परिसर में इसके लिए जरूरी सुविधाएं जैसे पानी का tank, हाल आदि उपलब्ध हैं। आप चार पाँच दिन पूर्व ही, आस पास के रेस्तौरंट्स से संपर्क कर इस हेतु चाय, नाश्ते, खाने आदि की व्यस्थाएँ करवा सकते हैं।
चितई गोलु देवता के अतिरिक्त उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में कई अन्य स्थानों जैसे घोडाखाल, गैराड़, भुजियाघाट, चनोदा आदि स्थानों में भी गोलु देवता को समर्पित मंदिर हैं।
मंदिर में गोलु देवता के दर्शन कर और मंदिर परिसर में समय बिता हम लौटे वापस अल्मोड़ा की ओर, और पहुचे डाना गोलु देवता में। यहाँ सड़क किनारे वाहन पार्क कर डाना गोलज्यु के दर्शन किए।
ऐसी मान्यता है कि चितई गोलू देवता के दर्शन करने की बाद डाना गोलू या dana गोल्ज्यू मंदिर के दर्शन किये जाते है। डाना गोल्ज्यू एक कुमाउनी शब्द है, जिसमे “डाना” शब्द का अर्थ होता है- पहाड़ या उचाई पर स्थित स्थान और “गोल्ज्यू” मतलब गोलू जी।
यहाँ मंदिर के चारों ओर आपको असीम शांति का अनुभव होता है। और उचाई पर स्थित होने की वजह से आप यहाँ चीड के जंगलो में बहने वाली हवा और बहती हवा की आवाज का आनंद ले सकते हैं। मंदिर सड़क से लगा हुआ है। और अगर आपने अभी तक भोजन न किया हो तो मंदिर से सामने मैदान नुमा ढलान में आप घर से लाया या रैस्टौरेंट से पैक किया हुआ भोजन यहाँ बैठ कर कर सकते हैं। पर इस बात का ख्याल रखे कि मंदिर परिसर और आस पास की स्वच्छता या शांति नष्ट ना हो। कूड़े को जंगल में फैलाये नहीं, उसे अपने साथ ले जाएँ और कूड़े दान में ही डालें। पर्यावरण के रक्षा करना और वातावरण को साफ सुथरा और स्वच्छ रखना हम सबका सामूहिक दायित्व है।
डाना गोलज्यु देवता के दर्शन के बाद हम लौटे अल्मोड़ा को। आशा है की आपको यह यात्रा वृतांत पसंद आया होगा। इससे जुड़ा रोचक और जानकारी देता पूरा विडियो आप साथ दिये लिंक 👉 https://youtu.be/74RELh6QaQY 👈 पर क्लिक कर देख सकते हैं।
पोस्ट के अपडेट पाने के लिए अल्मोड़ा ऑनलाइन Whatsapp से जुड़ें